इस घड़ी
जहां खड़ा हूं
अंधकार से घिरा हूं
कुछ सूझता नहीं
कुछ दीखता नहीं
आवाजें आ रही हैं
पहचाने स्वर हैं
मैं पूछता हूं
शून्य में पूछता हूं
क्या कहा?
आपने क्या किया?
मैंने कुछ नहीं किया
सबूत पेश करना होगा
किसके आगे सबूत
जो मेरा जन्मा है
मेरे रक्तबीज का अंश है
सबसे बड़ा सबूत
तो वही है
आगे कुछ कहना
निरर्थक है
तू-तू मैं-मैं
बखिया उघारने
मुझे नंगा करने से
क्या कुछ /हासिल होगा
इस जर्जर काया में
बचा क्या है?
तो! मैं चलता हूं
निकल जाता हूं
Wednesday, December 31, 2008
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