Thursday, December 4, 2008

हसीना

ये गेसू
ये झुमके
ये बिंदिया
ये बेसर
ये खनकती चूडिय़ां
ये चांद-सा मुखड़ा
ये हिरणी सी आंखें
ये छरहरा बदन
ये सलवार
ये चुन्नी
चालों में शोखी
दिल धडक़ता है
मन करता है
तमन्ना होती है
एक बोसा ले लूं
तुम पर निसार हो जाऊं

समरस कविता संग्रह से

2 comments:

manvinder bhimber said...

चालों में शोखी
दिल धडक़ता है
मन करता है
तमन्ना होती है
एक बोसा ले लूं
तुम पर निसार हो जाऊं
bahut sunder bhaaw hai

शोभा said...

बहुत सुन्दर लिखा है। दिल से लिखा है। बधाई स्वीकारें।