Saturday, December 24, 2011

डर

डर का पर्याय निडर ही है। डर है क्‍या? इसका कोई आकार नहीं होता। यह पैदा कैसे होता है! इस पर चिंतन करने की आवश्‍यकता है। डर मन में पैदा होता है। यह निराकार होता है। इसका आकार नहीं होता। इसका विश्‍लेषण आप कर सकते हैं। विशलेषण भी कोई चिंतक ही कर सकता है। डरपोक आदमी दुनिया में कुछ कर नहीं सकता। डर निकम्‍मा बना देता है। जो निर्भीक और निडर होते हैं, वही कुछ कर सकते हैं। फिल्‍मी कलाकार निडर होते हैं। जोखिम भरा काम वैसे ही लोग करते हैं। चन्‍द्रयाण में सफर करना आप से नहीं हो सकता। कौन कर सकता है। वैसे फिल्‍मकार हैं, उसमें इसमें सभी आला दर्जे के हैं। तालेबान वाले में डर नहीं होता। जान हथेली पर लेकर काम करते हैं। यह तालेबान ग्रूप करता है। वह स्‍वयं को उड़ा सकता है।

Thursday, December 22, 2011

डायरी

क्या डायरी लिखना आवश्यक है? मैं कहूंगा, हां सब कोई डायरी नहीं लिखते। अनपढ़ मजदूर, सर्वहारा डायरी क्या लिखेगा! पढ़े लिखे लोग डायरी लिखते हैं। कोई-कोई नियमित डायरी लिखते हैं। लखन बाबू एक साहित्यकार हैं। डायरी लिखते हैं। दो दशक से डायरी लिखते हैं। डायरी लिखने का तौर तरीका यह है कि सत्य-सत्य दिन भर की मुख्य घटनाओं का उसमें उल्लेख रहता है।

अब बूढ़ा हो गए। उनकी लिखने पढ़ने की क्षमता खतम हो गई। उनकी आलमारी पुस्तकों से भर गई हैं। डायरियां भी स्थान लिए आलमारी में पड़ी हैं।

अब कभी सोचते हैं कि इन्हें जला दूं। इसे उनके मरने के बाद इन्हें कौन पढ़ेगा! फिर सोचते हैं। वसीयत करके जायं कि वे मरेंगे तो उन्हें जब जलाया जाय तो इन डायरियों को भी जला दिया जाय। आपकी डायरी क्या है?

Tuesday, December 13, 2011

प्रलय प्रवाह

उधर रूस के जंगलों में लगी आग

थमती नहीं फैलती गई

पाकिस्‍तान की सीमा सरहद

बाढ़ में डूबती गयी

गांव शहर की रिहायसी नगरी

चपेट में लेते हुए

सिंध तक पहुंच गई

रिहंद बांध टूटने के कगार पर

× × ×

उधर कश्‍मीर के लेह में

बादल का फटना

जान माल की क्षति

सैकड़ों सेना के जवान

मिट्टी में दब गए

चीन में तबाही

ग्रीन लैंड क्षेत्र का कटकर

खिसकना!

क्‍या होगा? खण्‍ड प्रलय!

कामायनी की वह पंक्ति

हिम गिरि के उतंग शिखर पर

बैठा शिला की शीतल छांव

एक पुरूष भींगे नयनों से

देख रहा था

प्रलय प्रवाह।