Saturday, September 8, 2007

धर्म

प्रवचन नहीं है धर्म
तर्क विलास नहीं है धर्म
वाकजाल भी धर्म नहीं है
धर्म तप है
धर्म तितिक्षा है
धर्म कष्ट सिहष्णुता है
धर्म पर दुख कातरता है
सच्चाइयों-अच्छाइयों के लिए
जीने में /धर्म से साहस मिलता है
धर्म मर्यादाओं की रक्षा के लिए
उठनेवाली हुंकार है
सजल सेवा-संवेदना ही धर्म है
धर्म पतन निवारण के लिए
युद्ध का महाघोष है
दुष्प्रवृतियों, दुष्कृत्यों, कुरीतियों के
महाविनाश के
अभियान के लिए
धर्म शंखनाद है
धर्म सर्वहित के लिए
स्वहित का त्याग है.

फुरसत

अ।ज फुरसत किसी को नहीं
अपनी-अपनी
समस्याओं में
सभी उलझे हैं
परेशान हैं
हैरान हैं
परेनियां
क्यों
बढ़ती जा रही है ?
जटिलताएं
बेशुमार हैं
असमानताएं अनेक हैं.

चैन नहीं है
संतोष नहीं है
अ।राम नहीं है
दिन दूना
रात चौगुना
बढ़ाने की
ख्वाहिश है.
तो फुरसत कहां है ?
दुनिया जहन्नुम में जाए
हम फूलते-फलते रहें.

नफरत

नफरत
घृणा
किसी के प्रति
क्यों हो जाती है ?
कारण होते होंगे
प्रत्यक्ष
दिखाई नहीं पड़ती
जिसके प्रति नफरत
हम करते हैं
उसकी नजर में
हमें क्या माना जाता होगा ?
लगता है
वह भी तो हमसे
नफरत ही रखता होगा ?
क्यों नहीं
पारस्परिक तौर पर
हमें इससे निजात का
रास्ता ढूंढ़ना चाहिए...
यह शब्द
क्या शब्द कोश से
निकाला जा सकता है ?

पाक दिल

पाक दिल
नेक दिल
दरिया दिल
अ।दमी को
शोहरत की तलाश
नहीं हाती
वह रिटर्न नहीं चाहता
एक नया फिजां बने
अमन-चैन
सुकून शांति का
माहौल बने
कि सुख चैन की जिन्दगी
सभी को मुयस्सर हो .

दृष्टिकोण

संकुचित
दृष्टिकोण
बौना बनाता है
उदार
दृष्टिकोण
श्रेष्ठ बनाता है
सबके प्रति प्रेम
सबके प्रति अ।दर
सबके प्रति सेवा
सच्चा मानव बनाता है.
तभी
अ।प कुछ
कर पायेंगे
कुछ पा सकेंगे
पाने के अधिकारी
बन सकेंगे .