Tuesday, September 30, 2008

कोसी की बाढ़:तीसरा दिन

तीसरा दिन
ओम नम: शिवाय पांच बार सुनते ही उठ बैठा। आज का समय ध्यान, मंत्र जाप, पूजा घर जाकर प्रणाम। फिर मंत्र जाप घड़ी से।़ मुंह धोकर किशमिश का आहार लिया, दुलहिन को चूड़ा-चीनी मांगा। पर्याप्त मिला। छत पर गया। रोड का जायजा लिया। खेड़वार परिवार दक्खिन वाले रोड पर सत्यनारायण मुखिया। नेता देवू ,सभी अपने-अपने घरों में। रोड पर नेता के नेता खोज खबर के लिए नहीं निकले। रामजी बाबू का परिवार। हीरा। रामचन्द्र। विन्देश्वरी । बचू का परिवार। तुलसी मां की बेटी। मेरे यहां है। अरुण एक दिन के लिए। नेता जी के यहां गए।
घर के अंदर पानी कम हुआ है। पर अभी तक हटा नहीं है। बाहर पानी के आने का वेग उत्तर से जारी है। पोर्टिको के भीतर का पानी किचन की ओर मुड़ कर पश्चिम जा रहा। प्रांगण में ईंट से पूरब उत्तर से दक्खिन की ओर पानी का प्रवाह जारी है। दिन में तीन रोटियां सब्जी के साथ खा लीं।
राम चन्दर ने वीरपुर का हालचाल सुनाया। सुशील ने भी शहर कुछ खबर की सुनाई।
नई किताब के लिए प्रारूप तैयार किया।
अंधेरा होने के औपचारिक शुद्धि कर के संध्या का निर्धारित जाप संपन्न। शाम के पहले रात का भोजन तीन रोटियां, सब्जी, फिर बी बी सी पर आपकी बात। और एक कोई संस्था के बारे में विस्तार से कहा गया पुरानी बातों का हवाला इतिहास कहते हुए, आज की पीढ़ी को उसकी याद दिला कर सिर्फ जानकारी देने की बात होने, अपनाने का आग्रह है।
रात कई बार पेशाब करने उठा। शाम को ग्रिल पकड़ कर शौच किया। किशमिश वाइफ ने नहीं खाया। मैंने खा लिया। फिर सेव एक हम और किसू ने आधा-आधा खाया। एलार्म बजने पर बिस्तर छोड़ा। इनवरटर की शक्ति खत्म, लालटेन की रोशनी में ...

Sunday, September 28, 2008

कोसी की बाढ़:दूसरा दिन

दूसरा दिन
सुबह हुई। रात की सांस। पिछली घड़ी से भारी बरसा। बिना नहाये सुबह का मंत्र जाप। योगा - व्यायाम बी बी सी सुन नहीं पाया। समाचार कुछ,कुछ बिहार और बाहर देश की सुन पाया।
प्रात: की चाय। थोड़ा सत्तू। दिन में पूरा दूध का भोजन और विश्राम।
दिन होने के कारण आज चैन है। खतरा मंडरा रहा है। अपना घर के उत्तर की सडक़, प्रमुख जी का बगीचा ढाल का काम कर रहा। इसके उत्तर का पहले का निर्माण। पूरब से बोरिंग की भाीसी बचाव भी काकारण है। पोर्टिको के पूरब से अनवरत उत्तर से पानी वेग से भाग रहा है। अभी का यही आकलन है। बिजली नहीं है। रात अंधेरे में बीतेगी।
ऊपरी बेला पानी का नजारा देखने छत पर गया। बिन्देश्वरी सपरिवार, बेटी-दामाद लेकर पनाह में आ गए। कैसे उनकी पिछली रात कटी थी।
कुछ पढ़ा-लिखा। एक कविता हिंदी दिवस की प्रति साफ की। कुछ अखबारों को फोटो कराके भेजने के लिए। अपने घर के पूरब से पानी वेग में, दक्खिन की ओर। बाद में पोर्टिको के बरामदे के भीतर से भी पानी निकल रहा है तेज धार बनकर। यह गनीमत है। घर में पानी फिल्ली भर है। धीरे-धीरे बढ़ रहा है। आसन्न खतरे के मद्देनजर सावधानियां बरती गई हैं। दीवान खाली किया गया। किताबें, फाइल, ऊपर के रैक पर रखवाया।
संध्या का आगमन। कुछ पढ़ा। अखण्ड ज्योति का एक लेख अवश्य पढ़ लेना चाहिए। दीवान पर ही समय, अधिकांश समय। ट्रांजिस्टर मेरे जीने का आधार, देश-दुनिया से अवगत होता रहा। रात बरसा नहीं हुई। ऊपर-नीचे सभी घोड़ा बेच कर सोने जैसा -चैन से सोए। मैंने भी घर के भीतर का पानी घटते देखा।
भगवान बचावें। त्राहिमाम .... त्राहिमाम

Saturday, September 27, 2008

कोसी की बाढ़:कुशहा का बांध टूटना

अभूतपूर्व घटना
कुशहा का बांध टूटना
पूर्व की भांति आश्वस्त था कि वीरपुर को कुछ नहीं होगा। घर पक्का है,यही दीठ बनाये रखा। बगल के रामजी यादव का पूरा परिवार हमारे जीवन-मरण में खड़ा रहता है। उन्होंने अपने घर के सामान को सुरक्षित कर लिया। वे रात में अपने बाल-बच्चों समेत मेरे घर पनाह लेने आ गए। अगल-बगल के परिचित परिवार और बच्चे का पनाह लेने आ गए।
दुल्हिन ने सबों को छत पर भेज दिया। हम दोनों और बेटा-बहू, अभी भी अपने को सुरक्षित समझते हुए, सामान को रैकों पर और दीवान के ऊपर रखना शुरू किया।
त्राहिमाम त्राहिमाम, दिलों में दहशत, फिर भी निर्भीकता, अपने पक्के मकान का फख्र, सैकड़ों परिचितों के बाल-बच्चों की जान बची। दीवान पर मैं सो गया, एक तरफ पत्नी, बीच में किसू सो गए।
अजय को जानकारी दी। उस समय पानी से घिर गए थे। रंजन को खबर नहीं हुई। राजू को खबर हो गई। अद्र्ध नींद में, घड़ी पर नजर बार-बार। सुबह कुछ राम नाम,फिर गायत्री मंत्र का जाप। सुबह हुई। राहत की सांस।
मुशर्रफ का नव वर्ष से कछ महीने पहले गद्दी छोडक़र इस्तीफा देना, खुशियां पाकिस्तान में हर कूचे और गली में, तथा अवाम ने राहत की सांस ली।
पर जम्मू कश्मीर के नौजवानों ने फिर एक बार अलग होने का बिगुल बजाया है। भाजपा का हिंदू आंदोलन भी जम्मू में फिरकापरस्ती को आहुति दे रहा है। विस्फोटक स्थिति बनी है।