डर का पर्याय निडर ही है। डर है क्या? इसका कोई आकार नहीं होता। यह पैदा कैसे होता है! इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है। डर मन में पैदा होता है। यह निराकार होता है। इसका आकार नहीं होता। इसका विश्लेषण आप कर सकते हैं। विशलेषण भी कोई चिंतक ही कर सकता है। डरपोक आदमी दुनिया में कुछ कर नहीं सकता। डर निकम्मा बना देता है। जो निर्भीक और निडर होते हैं, वही कुछ कर सकते हैं। फिल्मी कलाकार निडर होते हैं। जोखिम भरा काम वैसे ही लोग करते हैं। चन्द्रयाण में सफर करना आप से नहीं हो सकता। कौन कर सकता है। वैसे फिल्मकार हैं, उसमें इसमें सभी आला दर्जे के हैं। तालेबान वाले में डर नहीं होता। जान हथेली पर लेकर काम करते हैं। यह तालेबान ग्रूप करता है। वह स्वयं को उड़ा सकता है।
Saturday, December 24, 2011
डर
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