Friday, February 27, 2009

चंदा मामा

आज नहीं
मुद्दत से
तुम चंदा मामा हो
हम तुम्हारे
भांजा हैं
मां तुम्हें - बुलाती थी
चंदामामा आरे आव s
बारे आव s
सोना के कटोरी में
दूध-भात
लेले आव s
आ जाते थे
दौड़े
दूध भात
खिला कर
चले जाते थे
तुम से
मिलने के लिए
मन मचल रहा था
चंद्रयान से
संदेशा भेजा था
तुमको मिल गया न!

X X X

धरती पर तिल
धरने की जगह नहीं
सब बडक़ा लोगों ने
हड़प लिया
झोपड़पट्टी वालों के लिए
फुटपाथ पर दिन
गुजारने वालों के लिए
जगह की एडवांस
बुकिंग कर दो
तुम रहम दिल हो
दीन-दुखियों के
रहबर हो।

Monday, February 23, 2009

मेरा मन अब भी

जिन्दगी एक धरोहर है
अमूल्य निधि है
इस पर अधिकार
क्या सिर्फ मेरा ही है।
जैसे मैं चाहूं
वैसे मनमानापन
इसके साथ करता रहूं।
लगता है
सब कुछ कल की बात है
जिन्दगी का चतुर्थांश
तो मां-बाप के साया में
पला बढ़ा
आदमी बनाने का श्रेय उन्हीं का था।
उनके लिए
हमने क्या किया!
प्रतिदान को उन ने
चाहा नहीं
इस लंबी जिन्दगी में
बहुतों से संग-छुट गया
कुछ रूठ गए
कुछ भगवान के प्यारे हो गए
आज अकेले खड़ा हूं
मंजिल दिखाई देती है
चौथेपन की जिन्दगी का
क्या भरोसा!
कब चली जाए
क्या अभी मुझे
सपना देखना चाहिए
कि
यह कर लूं! वह भी कर लूं!
चाहत की कोई सीमा नहीं होती।

Friday, February 20, 2009

कॉलगर्ल

कॉल गर्ल
इनके-उनके घर की
बेटियां ही होती हैं
उनमें मौज-मस्ती से जीने की
एक हविस होती है
मां-बाप की / मजबूरी होती है
घर चलाने के लिए
बेटी को विवश करते हैं
प्रोत्साहित करते हैं
कॉल गर्ल बनने को।
महानगर में
यह कारोबार चलता है
बड़े-बड़े होटलों से
जुड़ी होती हैं
इंतजार करती होती है
कॉल की
कॉल आते ही
बुक होते ही
निकल पड़ती हैं
गंतव्य को
रात-रात भर के लिए
पौ फटते ही
लौटती होती हैं
अपने-अपने घरों के लिए
घर आते ही
अपने कमरे में
पसर जाती हैं
दस बजे दिन तक
एक कप चाय के साथ
मां जगाती है
उठ बेटी, उठ।

Tuesday, February 17, 2009

चुंबन

दो के बीच चुंबन का आदान प्रदान होता है। दोनों का सेक्स एक भी हो सकता है। दोनों का दो सेक्स भी हो सकता है। माता-पिता और शिशु के बीच चुंबन का आदान प्रदान होता रहता है। उसके लिए काल-घड़ी नहीं होती। शिशु जब सजग हो जाता है। वह घर के लोगों को पहचानने लगता है, तो खुलकर 'पूची' लेता भी है। देता भी है। शिशु का चुम्मा लेने पर जो आनन्दानुभूति होती है। वह असीमित होती है।

यह तो पारिवारिक रिश्तों के बीच के चुंबन की बात हुई। अब जरा हटकर युगल जोड़ी के बीच चुंबन की बात करें। हमारी संस्कृति में खुलेआम दम्पति के बीच चुंबन का आदान प्रदान वर्जित है। नव दम्पति के बीच मदहोशी का आलम रहता है। उसका अपना कमरा होता है। सद्य विवाहित पति जब घर से निकलने लगता है तो वह परिणीता को आगोश में ले लेता है और एक छोटा-सा चुंबन ले लेता है फिर जब वह नवदम्पति सहबिस्तर होता है और रति क्रिया शुरू होती है, उस समय कैसा-कैसा क्या होता है, कितनी देर टिकता है सब अलग-अलग किस्म का होता होगा। इसमें जवानी से लेकर बुढ़ापे तक की जोड़ी की अपनी-अपनी कारगुजारियां अलग-अलग किस्म की होती है। अपनी-अपनी स्मृतियों में आज तक कैद होंगी। इस चुंबन प्रक्रिया पर कुछ लिख रहा हूं चूंकि अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध नहीं है। हम एक-दूसरों की संवेदना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का लाभ उठावें। आपका हमारा मन बहलाव का ब्लॉग और नेट से बढक़र दूसरा कोई विकल्प नहीं हो सकता। बंधुओं इस पर तो थीसिस लिखा जा सकता है।

Monday, February 16, 2009

पैसा

क्रय - बिक्रय का जरिया
पैसा
कदम कदम पर / चाहिये पैसा
पैसा है श्रम
मान मर्यादा की रक्षा
करता है पैसा
पैसा हिम्मत है
पैसा संबल है
पैसा मनोबल है
पैसा जानलेवा है

साधु-संत
राजा-रंक
चाहिए सबको पैसा
नींद हराम कर देता है
पैसा
जो भी हो / पैसा तो चाहिए
काम नहीं चलता है
पैसा के बिना - किसी का भी

Saturday, February 14, 2009

तनाव

आजकल तनाव मुक्त कोई नहीं है। चाहे वह पढऩेवाला विद्यार्थी हो। काम करने वाले लोग हों। टैक्सी ड्राइवर हो या घर की गृहिणी हों। तनाव का कोई खास नुस्खा नहीं दिया जा सकता।

पर परिवार के बीच आपसी प्यार, सम्मान, आदर भाव बना हुआ है तो तनाव से बचा जा सकता है। बच्चे जब स्कूल जा रहे हों, तो उन्हें प्यार से स्कूल के लिए विदा करें। उसके स्कूल से लौटने के समय औवल उसके दादा-दादी इंतजार में खड़े रहें तो उसे ज्यादा खुशी मिलती है। उसका बस्ता आप ले लें। वह उछलता-कूदता घर आवे। फिर यदि आप दोनों ही कार्यरत हैं, तो यह ध्यान रखें। आप दोनों में जो कोई पहले घर आवे किचन का रोजमर्रा का काम कुछ हल्का बनाकर रखें। मसलन सब्जी काटकर रखें। दाल चढ़ा दें।

यदि आपके साथ माता-पिता हैं, तो उनके साथ प्रेम और आदर का भाव रखें। संभव हो तो उनके पास बैठें। उनका पांव दबा दिया करें। वे निहाल हो जायेंगे। उनका रोम-रोम पुलकित हो उठेगा और उनका आशीष आपके जीवन को तनाव मुक्त बना देगा। सोने के समय उनकी मच्छरदानी लगा दिया करें। यदि थूक खंखार फेंकने की उनकी आदत बनी हुई है, तो पिकदानी उनके पास रख दिया करें।

दिन में इकट्ठे भोजन करने का अवसर नहीं मिल सकता है। पर रात में इकट्ठा बैठकर भोजन करें। भोजन आपके आगे जो आये, उसे प्रसाद मानकर भोजन करें। कुछ खास आइटम की प्रशंसा कर दें। पकानेवाले को खुशी होगी।

इन दिनों बच्चा, बूढ़ा, जवान सभी अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग हो गए हैं। स्वस्थ रहने के लिए योगा, ध्यान, शिथिलासन और शवासन करें। यदि आपको ब्लड प्रेशर है, कहीं वाद-विवाद में नहीं फंसे। ये कुछ मामूल बातें हैं जिनसे आप तनाव मुक्त रह सकते हैं।

Thursday, February 12, 2009

पहचान

गांव समाज में
हमारी आपकी पहचान
आसानी से हो जाती है
देश विदेश में
जन-सामान्य को
पहचाना कैसे जाय
तो आई डी चाहिये
वोटर पहचान पत्र
राशन कार्ड
लाइसेंस कार्ड
क्रेडिट कार्ड
ए टी एम कार्ड
ऐसा ही कुछ चाहिये
सार्वजनिक स्थलों पर
अधिकारी तो
नाम के बिल्ले
से जाने जाते हैं
पर भीतरी पहचान
असली पहचान है
मसलन रहम दिल होना
दरियादिल होना
खूंखार होना

Saturday, February 7, 2009

आपदायें

आपदायें
बिना बुलाये आती हैं
कहर बरपाती हैं
कभी यहां - कभी वहां
कभी
सुनामी लहरें बनकर
निशाना साधती हैं
बेगुनाहों पर
बेरहम होकर
ओले बरसाती हैं
हिमखण्ड गिराती हैं
मार्ग अवरूद्ध हो जाता है
बिजली चली जाती है
अंधेरा फैल जाता है
सरकार विवश हो जाती है
विपक्ष चिल्लाता है
भले हम आप
कोसते रहें
पर है यह
प्रकृति के साथ
छेड़छाड़ का परिणाम
जीना है
तो पर्यावरण की रक्षा करें।

Wednesday, February 4, 2009

प्यार

जहां प्यार है
वहां दर्द है
प्रेम रूला देता है
जुदाई का भय
खोने का डर
बना रहता है

X X X

प्यार दुखद
तब होता है
जब प्रेमी या प्रेमिका
बेवफा हो जाते हैं
विश्वासघात का घाव
जल्दी नहीं भरता
प्यार में एक जादू है
नि:स्वार्थ प्रेम
पवित्र होता है

Monday, February 2, 2009

औरत

जननी है
ममता है
वसुंधरा है
माया है
भोग्या है
जंजाल है
जगज्जननी है
मोहिनी है
काली है / दुर्गा है
लक्ष्मी है / पिशाचिनी है
वह रंग बदलती रहती है
क्या नहीं है!
वह रहस्यमयी है
वह सृष्टि है
दुनिया चलाती है