Saturday, December 27, 2008

कुछ करना है

दोस्तो!
हम पल दो पल के
साथी हैं
तो करना क्या है
कुछ सोचा है
कुछ विचारा है
कभी गौर किया है
अब तक
कितना खोया
कभी आंका है
वक्त
इंतजार नहीं करता
एकजुट होकर
अंजाम दें
जो करना है
बहुत हो चुका
कीचड़ न उछालें
घात न करें
इसी में
सब का भला है
सबके भला में
आपका भला है

2 comments:

vijay kumar sappatti said...

sir ,aapki ye rachan jeevan ke sahi marm ko saarthak karti hai ..

सबके भला में आपका भला है

in lines mein aapne aisi baat kar di , ki bus poochiye mat , in fact hum sabka maqsad bhi yahi hona chahiye.

sir meri kuch aur kavitao ko aapka pyar chahitye..

aapka vijay
poemsofvijay.blogspot.com

संगीता पुरी said...

सबके भला में
आपका भला है
बहुत सुंदर सोंच है...धन्‍यवाद।