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sukhdeo sahitya
this is my writing.hope you will like it and love it.
Tuesday, December 2, 2008
उधर
हवा में तैरती
प्रियजनों की
फुसफुसाहट
कब तक
ढोना पड़ेगा
मुआं
इन जिंदा
लाशों को
इनकी मौत
कब
आयेगी!
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sukhdeo sahitya
मेरी उम्र छियासी हो चुकी है.मैं साहित्यसेवी हूं.मेरी रचन।एं यहां हैं.आप की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी.
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