Wednesday, December 24, 2008

क्या करूं

एक अहम प्रश्न
अब क्या करूं?
करता रहा / चलता रहा
थका नहीं / हारा नहीं
रूका नहीं
शाबासी नहीं मिली
ठकुरसुहाती मिली
छला गया / भरमाया गया
फिर भी डटा रहा
बेबसी में जीता रहा
चमक-दमक भी देखी
आंखें चौंधिया गयीं
फिर भी दौड़ता रहा
हारा नहीं
तमन्नायें थीं
कुछ पूरी हुई / कुछ बाकी हैं
उम्मीदें बंधी हैं
पूरा करूंगा
खिलाफ में / मोहरे बिछे हैं
परवाह नहीं
हिम्मत बुलंद है
कुछ कर गुजरना है
जो भी गंवाना पड़े
अंगूठा दिखलानेवाले / दिखलाते रहें
व्यंग्य-वाण छोड़ते रहें / ठिठोली करते रहें
बेअसर हूं
जवाब क्या दूं / क्यों दूं
हमें कुछ करना है / कर रहा हूं
समय की रेत पर / पदचिह्न छोड़ जाऊंगा

1 comment:

seema gupta said...

परवाह नहीं
हिम्मत बुलंद है
कुछ कर गुजरना है
" बहुत सुंदर , यही जीवन है यही सत्य है चलते जाना हर हाल मे बिना रुके...
regards