आदमी की जिन्दगी
आपाधापी की जिन्दगी
भागदौड़ की जिन्दगी
कहां लिए जा रही है
क्या होगा!
महाकाल क्या चाहता है!
विनाश, महाविनाश
सबका विनाश
तब क्या होगा
कौन बचेगा! कौन भोगेगा! !
बचा-खुचा सुकर्मी
दूध का धोया
X X X
फास्ट लाइफ का क्या मतलब
भागते जाओ, रूको नहीं
सांस नहीं लो
छांव तले आराम नहीं करो
विश्राम नहीं करो
महानगरों के निवासी
रूको
गाड़ी की गति बढ़ाओ नहीं
एक झटके में चले जाओगे
आगे मौत मुंह बाये खड़ी है
तुम्हें खा जायेगी
तुम्हारे मासूम-बच्चे! बिलखते रह जायेंगे
उन्हें प्यार कौन देगा!
Monday, December 29, 2008
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2 comments:
आदमी की जिन्दगी
आपाधापी की जिन्दगी
भागदौड़ की जिन्दगी
कहां लिए जा रही है
क्या होगा!
महाकाल क्या चाहता है!
विनाश, महाविनाश
सबका विनाश
waah kya baat hai
aadmi ki zindgi, aapadhapi ki zindgi, bhagdaur ki zindgi...
Aaj ke bazaarvaad aur masheeni insaan ki zindgi ki khoob tasveer
dikhaaii hai aapne.
samvedan.heen mahaul ki
samvedan.sheel abhvyakti.
---MUFLIS---
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