Friday, December 26, 2008

आखिरी तमन्ना

तुम्हारे पापा-मम्मी ने
तुम्हारा नाम श्रेया रक्खा
श्रेया से तुम सूम्मी हो गयी
घर-आंगन में
तुम दौड़ती-फिरती रही
सुना है, तुम जा रही हो
क्यों?
तुम्हारे मां-बाप ऐसा चाहते हैं
तुम्हारे जाने के बाद
एक शून्यता होगी
उसे अम्मां कैसे झेलेंगी
कैसे भरेंगी
उनकी गोद सूनी हो जायगी
उनका मन उखड़ा-उखड़ा रहेगा
और मेरा भी वैसा ही
सुबह-सवेरे मेरे कमरे में
कौन आयेगी
मीट-सेफ कौन खोलेगी
गोलक में पैसा रोज
कौन डालेगी
अब छुहारा का डिब्बा
खाली नहीं होगा
ब्रेड और केक में
दहिया लग जायेंगे
पूजा के समय
मेरी गोद में
साधिकार कौन बैठेगी
प्रतिमा को
आरती-अगरबत्तियां
कौन दिखायेगी
मेरी रिक्तता कैसे भरेगी!
तिपहिया साइकिल का क्या होगा
मेरी साइकिल की / बेबी-सीट
पर कौन बैठेगी
बगिया के बिरवे
तुम्हारी प्रतीक्षा में
मुरझा जायेंगे
पानी कौन पटायेगी
और अम्मां
उन ख्यालातों में
डूबती-उतराती रहेंगी
गुडिय़ा जैसी, मोम जैसी
सूम्मी को
रात-रात भर
गोद में लिए बैठी रहती थीं
पलकों में नींद नहीं
आती थी
मनौतियां मनाती थीं
सूम्मी चंगी हो जा
हंसने लगे
मुस्कराने लगे

x x x

तुम्हारा आना-जाना
बड़े पापा-मम्मी के घर
बना रहेगा
पर अम्मां नहीं रहेंगी
मैं नहीं रहूंगा
और तब
तुम पर क्या बीतेगा
बेटा।़ संसार में यही होता है
जो आता है, वह जाता है
उसकी स्मृतियां
आती हैं-जाती हैं

x x x

तुम जाओ
अम्मा विदा करेंगी
मैं विदा करूंगा
बड़ी अम्मां बिलखेंगी
खुशी-खुशी जाओ
खूब पढऩा
बड़ा आदमी बननायही मेरी आखिरी तमन्ना है।

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