पर्दाफाश किसका करूं ?
अपना
आपका
राजनेता का
दलितों का
सवर्णों का
नंगा तो
चौक-चौराहे पर
टीवी चैनलों पर
हम आप
होते ही हैं
आंखों में पानी
बचा कहां है!
सामाजिक संरचना
मतलबी हो गयी
सही बात
सत्य बात
गंवारा नहीं होती
एक की क्षमता के आगे
विश्व नतमस्तक होकर
रह गया
कुछ कर न सका
बिगाड़ न सका
आज वह जो चाहेगा
वही करेगा
सबकी बोलती बंद।
Saturday, January 17, 2009
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1 comment:
"ek ki kshamtaa ke aage vishaw nt.mastak ho kr reh gya..."
bahot sahee kahaa aapne....aaj poore vishav meiN ussi ka raaj chalta hai...
aur " samajik sanrachna matlabi ho gyi hai.." inn panktiyoN meiN aapne bahot kuchh keh diya hai...
agar aaj ke bazaarvaad ke samajhdaar log kuchh samajh paayeiN to..?
---MUFLIS---
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