Tuesday, January 20, 2009

मोह-माया-ममता

मोह-माया-ममता में
ठन गया
कौन बड़ा है
उधर से नारद जी
वीणा बजाते आये
पूछा, 'क्या बात है?Ó
तीनों ने कहा
'फरिया दीजिये
नारद जी।Ó
नारदजी पसोपेश में पड़ गये
तुम तीनों तो
सहोदर भाई-बहन हो
सिरजनहार की औलाद हो
वजूद-कद
तुम तीनों के समान हैं
एक-दूसरे से प्रतिबद्ध हो
निराकार हो
सृष्टि के नियामक हो
कौन बचा है
तुम तीनों से
आदमी को कौन कहे
जीव-जन्तु में विराजमान हो
सृष्टि को थामे हो
तुम तीनों के रूतबे
बरकरार हैं।

1 comment:

निर्मला कपिला said...

ytharth hai jitna chhodnaa chaho chhute nahi chhut te