कभी गौर किया है
आकाश सूना- सूना
क्यों दिखता है
जटायु प्रजाति का
विलोप तो नहीं हो गया
गिद्ध
न नीचे, न ऊपर
न पेड़ों पर
कहीं नहीं दिखता
अंजाम क्या होगा!
उस दिन
घर लौट रहा था
सड़क किनारे
बूढ़ा बैल का रक्तिम
ढ़ांचा पड़ा था
दुर्गन्ध फैल रहा था
नाक पर रूमाल रख
जल्दी से आगे
बढ़ गया
इक्का- दुक्का कुत्ता
कौआ चोंच
मार रहा था
इक्कीसवीं सदी की यह त्रासदी
भविष्य में
क्या?
इन जानवरों के लिए
कब्रगाह बनवाना होगा?
Saturday, January 3, 2009
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