Friday, January 16, 2009

दर्द

जी! दर्द है
मीठा-मीठा
नहीं है
जानलेवा है
परेशान हूं
हैरान हूं
चिल्लाता हूं
संभालो
टीस रहा है
अंगर रहा है
फटता जा रहा है
बुझाता नहीं है
दर्द कहां है
यहां दाबो
इसे दाबो
नहीं-नहीं
इसे दाबो
त्राण कैसे मिलेगा
दवा राहत देती है
दवा बेअसर है
क्या करूं?
लोग सलाह दे जाते हैं
आराम कीजिए
दर्द बढऩे पर
बीवी को बुलाता हूं
कहता हूं
दर्द बांट लो
बीवी कहती है
दर्द बांटा नहीं जाता / झेला जाता है।

3 comments:

Vinay said...

सचमुच सुन्दर

---मेरा पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा!!

समयचक्र said...

दर्द बांटा नहीं झेला जाता है

बिल्कुल सौ टके की बात बहुत उम्दा क्या बात है मित्र बधाई