पानी की खासियत को
मैं क्या बखानूं
अलग-अलग कोण से
देखा जाता है
जिन दिनों वह / मेरी सहचरी थी
पानी की गिलौरी / मुंह में दाबे रहता था
तब की बात है / अहमद हुसैन जर्दा
मुंह लग गया था / वही फांकता था
कभी-कभी पान लगता भी था
घर में कुहराम मच जाता था
बीबी माथा पीटने लगती थी
खुमारी उतरते ही फिर उसी पान की
ख्वाहिश
जनाब
ताल ठोक कर कहता हूं
आप शपथ लेकर भी
पान छोड़ नहीं सकते
किन्तु अभी जरा चेतिये
पान के ऊपर जो
फरमाते हैं
वह जानलेवा है
आपको ले डूबेगा
बाल-बच्चा बीबी के लिए
पान के साथ
जहर नहीं फांकें
X X X
पान आज
मेरे साथ नहीं है
गोष्ठियों में
पान चबाते देखता हूं
अपने बीते दिनों को
याद करता हूं
सुना है, पान तो
स्वर्ग में भी नहीं मिलता है
तो क्या पान शुरू करूं?
Thursday, January 15, 2009
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1 comment:
"हमने तो सुना था बनारस का पान खाने से बंद अक्ल का ताला भी खुल जाता है ......अब कभी खाया नही वो बात अलग है"
Regards
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