जन मजदूर
लेबर श्रमिक
कामगार
सारे के सारे
अपना श्रम
निर्धारित समय के लिए
बेचते हैं
बदले में मिलती है उन्हें
कुछ नगदी
जिनसे वे खरीदते हैं
दाल,चावल,आटा
नमक,तेल,सब्जी
और बिटिया के लिए
चिनिया बादाम
अपने लिए सुरती
पत्नी के लिए
एक मुट्ठा बीड़ी
* * *
घर पहुँचते ही
इन्तेजार करती
बीवी के हाथ में
थमा देते हैं पोटली
उधर से मिलता है
चूरा का भून्जा
नमक हरी मिर्च के साथ
ऊपर से एक लोटा पानी.
Monday, February 25, 2008
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1 comment:
बाऊ जी को सलाम है. आप इसी तरह लिखते रहिये. सीधी बात का असर ही कमाल क होता है. जन मज़दूर पर कविता लिख्कर इनाम पानेवाले भी कम ही जानते हैं कि वह अपनी मज़दूरी से क्या क्या ख़रीदता है और ज़ाहिर है "क्या नही ख़रीद पाता."
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