Monday, February 4, 2008

असमंजस

समझ नहीं आता
क्या करूं
क्या उम्रदाराजों को
कन्दराओं में शरण
लेनी होगी
या कि उन्हें
कदम-ब-कदम
युवाओं के संग
चलना होगा
* * *
फिर आज
बूढों को खारिज करने की बातें
क्यों उठती है?
तुम भी रहो वे भी रहें सामंजस्य
स्थापित करो।
१२.१०.०७

2 comments:

Anonymous said...

सुंदर भाव है.

पारुल "पुखराज" said...

ye umrdaraaz to saayedar darakht hain humper...inhey khaarij koi kaisey kar saktaa hai.