Monday, February 2, 2009

औरत

जननी है
ममता है
वसुंधरा है
माया है
भोग्या है
जंजाल है
जगज्जननी है
मोहिनी है
काली है / दुर्गा है
लक्ष्मी है / पिशाचिनी है
वह रंग बदलती रहती है
क्या नहीं है!
वह रहस्यमयी है
वह सृष्टि है
दुनिया चलाती है

2 comments:

Vinay said...

बहुत सुन्दर शब्द प्रयोग

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ज़रूर पढ़ें:
हिन्द-युग्म: आनन्द बक्षी पर विशेष लेख

Kulwant said...

This is beautiful.

बहुत सुन्दर

कुलवंत