Saturday, February 7, 2009

आपदायें

आपदायें
बिना बुलाये आती हैं
कहर बरपाती हैं
कभी यहां - कभी वहां
कभी
सुनामी लहरें बनकर
निशाना साधती हैं
बेगुनाहों पर
बेरहम होकर
ओले बरसाती हैं
हिमखण्ड गिराती हैं
मार्ग अवरूद्ध हो जाता है
बिजली चली जाती है
अंधेरा फैल जाता है
सरकार विवश हो जाती है
विपक्ष चिल्लाता है
भले हम आप
कोसते रहें
पर है यह
प्रकृति के साथ
छेड़छाड़ का परिणाम
जीना है
तो पर्यावरण की रक्षा करें।

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