कपार का लिखा
मिटता नहीं
देर सवेर
उसका सामना
करना पड़ता है
जो बीत गया
जो झेल गया
क्या वह
कपार का लिखा था...
उससे क्या अ।प संतुष्ट हैं...
इंसान कभी
संतुष्ट नहीं होता.
कभी.कभी
हम अ।प
कपार पीटने लगते हैं
कपार पीटने से
जो खोया
क्या वह अ।पको
मिल जाता है...
कुछ अनहोनी \ हो जाने पर
हर कोई कहता है
यह तो उनके \ कपार में लिखा था
इसीलिए किसी के \ गुजर जाने के बाद
कहा जाता है
उसके कपार में
वैसा ही लिखा था.
Friday, August 24, 2007
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