चाहे दैहिक
चाहे मानसिक
व्यथा
बांटी नहीं जाती
भोगी जाती है
मापने का
कोई पैमाना नहीं होता
कोई ग्राफ भले ही
कोई
मनोचिकित्सक दिखला
सकता हो
अ।त्मीयजनों के बिछोह में
व्यथा होती है
जीवन के उतार.चढ़ाव में
व्यथा होती रहती है
यह एक ऐसी प्रिक्रिया है
जिससे हम अ।प
व्यिथत होते हैं
यह जीवन से जुड़ी है
किन्तु दिखती नहीं .
Tuesday, August 21, 2007
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