Friday, August 24, 2007

भाग्य

भाग्यवादी
सब कोई नहीं होता
बहुत इसे मानते हैं
वामपंथी
इसे स्वीकार नहीं करते हैं
दक्षिणपंथी
उस पर भरोसा करते हैं
सबके कपार में
अलग.अलग
कुछ लिखा होता है
जिसे ज्योतिषी पढ़ते हैं
किन्तु
ऐसे भी कर्मठ लोग हैं
जो नये सिरे से
अपने कपार पर लिखे को
मिटाते हैं
नया कुछ गढ़ लेते हैं
ऐसा तो\कभी.कभी
विरले लोगों से होता अ।या है
क्या साहित्यकार को
उसमें
शुमार कर सकते हैं ?

No comments: