मन शैतान होता है
कभी.कभी बेकाबू
बेलगाम होता है.
बाल मन\ युवा मन
वृद्ध मन तीनों के अ।याम
अलग अलग होते हैं.
एक मचलता रहता है
दूसरा हवाई किला बनाता है
कुछ करना चाहता है
अ।काश में महल
बनाना चाहता है
तीसरा कभी अतीत में झांकता है
कभी पश्चाताप करता है
कि हमें वैसा नहीं करना चाहिए था
कभी खुश होता है
कि बहुत कुछ किया.
एक यह भी देख लेता
उसकी पूरति होने पर
पुनः मन में अ।ता है
एक यह भी हो जाता...
एक वह भी हो जाता
सिलिसला टूटता नहीं.
साधु.संत योगी.फकीर
तपस्वी.साधक
मन को काबू में रखते हैं
पर जब फिसलते हैं
तो उनका स्वरूप
बड़ा घिनौना होता है.
Tuesday, August 21, 2007
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