Monday, February 8, 2010

निरन्‍तरता

गायत्री परिवार के संग
निरन्‍तरता थीं
आज व्‍यतिरेक क्‍यों हुआ?
सुबह 27 सितम्‍बर 09, नवरात्रा की
पूर्णाहुति थी / शक्ति स्‍थल जाना था
पक्‍का मन था, तैयारियां
कर ली थी।
X X X

सहसा मनोबल टूट गया
अंग शिथिल हो गए
लिख डाला 'क्षमा याचना'
गरीगोला भिजवा दिया
पूर्णाहुति में देने के लिए
आंखें वंचित रहीं
उन क्षणों को कैद करने को
मोबाइल रूठ गया
वंचित रहा, गिरफ्त में
होने के लिए / उन क्षणों को
यह पहली बार हुआ
जब से जुड़ा हूं।

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