Saturday, September 8, 2007

धर्म

प्रवचन नहीं है धर्म
तर्क विलास नहीं है धर्म
वाकजाल भी धर्म नहीं है
धर्म तप है
धर्म तितिक्षा है
धर्म कष्ट सिहष्णुता है
धर्म पर दुख कातरता है
सच्चाइयों-अच्छाइयों के लिए
जीने में /धर्म से साहस मिलता है
धर्म मर्यादाओं की रक्षा के लिए
उठनेवाली हुंकार है
सजल सेवा-संवेदना ही धर्म है
धर्म पतन निवारण के लिए
युद्ध का महाघोष है
दुष्प्रवृतियों, दुष्कृत्यों, कुरीतियों के
महाविनाश के
अभियान के लिए
धर्म शंखनाद है
धर्म सर्वहित के लिए
स्वहित का त्याग है.

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