Wednesday, November 18, 2009

इधर

यहां तक
पहुंचते गये
अब क्‍या चाहते हो
दुनिया मुट्ठी में
करने की ख्‍वाहिश
तुम्‍हारी जाती नहीं
X X X

तुम्‍हारे डग
नहीं उठते
सीढ़ियां नहीं चढ़ पाते
सहारा ढूंढ़ते हो
एक अदद कोई
पोता, पोती, बहू
बेटा, बेटी की, मिल जाती है
निहाल हो जाते हो

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