लेन-देन की पद्धति सनातन से चली आ रही है। उपकृत होकर खुशी से हम आप इस प्रक्रिया से जुड़े हैं।
आज के संदर्भ में मीडिया ने अन्ना हजारे को मीडिया चाहे टीवी हो, चाहे अखबार समूह हो, उनके साथ उनके विभिन्न स्तर के प्रवक्ता हों, अन्ना को गांधी का दर्जा बेहिचक दे दिया है।
इसी संदर्भ में एक घटना की बात करना चाहता हूं। विगत दिनों गांव में मेरे दरवाजे पर सालाना जमीन संबंधी रसीद काटने तहसीलदार आये थे। वे अपना सहायक लेकर चलते हैं।
उनके सहायक ने रसीद काट दी। रसीद की रकम कुल जितने भी आये थे। उसमें अपना तहरीर (ऊपरी रकम 500 रु.) जोड़कर बताई थी। मेरे बेटा ने एतराज किया। इस पर उनका तेवर तुरंत बदल गया। उनपर अन्ना का कोई असर नहीं पड़ा।
समाज में अभी प्रखंड कार्यालय में लेन-देन चल रहा है। मैंने हस्तक्षेप किया। बेटा को कहा 200 रु. दे दें। बेटा ने मान लिया।