यहां तक
पहुंचते गये
अब क्या चाहते हो
दुनिया मुट्ठी में
करने की ख्वाहिश
तुम्हारी जाती नहीं
X X X
तुम्हारे डग
नहीं उठते
सीढ़ियां नहीं चढ़ पाते
सहारा ढूंढ़ते हो
एक अदद कोई
पोता, पोती, बहू
बेटा, बेटी की, मिल जाती है
निहाल हो जाते हो
Wednesday, November 18, 2009
Monday, November 9, 2009
31 अगस्त, 08
वह घड़ी - वह दृश्य
घर का बिलखना - क्या हो रहा है!
पहले बाबा का बेटा,
फिर बड़ी बहू,
अम्मां तुम भी,
क्यों जा रही हो?
पूजा घर में दीया
कौन जलाएगा!
फिर बाबा तुम भी,
तुम्हारे बिना मेरा
क्या होगा?
पास में खड़ा,
आम ने कहा
घबराओ मत
मैं हूं न
दोनों संग-संग
रहेंगे।
घर का बिलखना - क्या हो रहा है!
पहले बाबा का बेटा,
फिर बड़ी बहू,
अम्मां तुम भी,
क्यों जा रही हो?
पूजा घर में दीया
कौन जलाएगा!
फिर बाबा तुम भी,
तुम्हारे बिना मेरा
क्या होगा?
पास में खड़ा,
आम ने कहा
घबराओ मत
मैं हूं न
दोनों संग-संग
रहेंगे।
Tuesday, November 3, 2009
प्रधानमंत्री के प्रति
प्रधानमंत्री के प्रति
ओपन हर्ट सर्जरी पर
धन्यवाद किसे दूं!
पहला धन्यवाद भगवान को दूं
दूसरा धन्यवाद डॉक्टरों की टीम को
तेरह घंटों में सफल
सर्जरी पर
तीसरा धन्यवाद एम्स को
चौथा धन्यवाद प्रधानमंत्री, मनमोहन सिंह को
पांचवां धन्यवाद उनके परिवार जनों को
छठा धन्यवाद भारत को
सातवां धन्यवाद सारे लोगों को
जिनकी निगाहें
उन पर टिकी थीं।
ओपन हर्ट सर्जरी पर
धन्यवाद किसे दूं!
पहला धन्यवाद भगवान को दूं
दूसरा धन्यवाद डॉक्टरों की टीम को
तेरह घंटों में सफल
सर्जरी पर
तीसरा धन्यवाद एम्स को
चौथा धन्यवाद प्रधानमंत्री, मनमोहन सिंह को
पांचवां धन्यवाद उनके परिवार जनों को
छठा धन्यवाद भारत को
सातवां धन्यवाद सारे लोगों को
जिनकी निगाहें
उन पर टिकी थीं।
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सुखदेव नारायण
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