पांचवां दिन
ओम नम: शिवाय की ध्वनि पांच बार। उसके पहले ही उठ बैठा। पूजा घर जाकर प्रणाम किया। और मुंह धोकर आ गया,किशमिश खाया अपने हिस्से का,फिर राष्ट्रीय प्रसारण घंटा भर सुनता रहा। न्यूज सुनकर बंद किया।
बी बी सी लग गया। उसके साथ कसरत और योगा समाप्त किया, फिर जलपान। स्वाध्याय अखंड ज्योति से,पुरानी डायरियां निकालीं। तोषी को पहुंचाने कलकता गया था। दुल्हिन और पत्नी साथ थीं।
फिर तोषी को मुंबई पहली बार पहुंचाने गया। उस प्रवास की कहानी मझधार में,त्रासदी से ही।
आज दोपहर में देह में धूप लगाने गया। राम जी बाबू अपने परिवार के बेटों के साथ बहस में थे। बेटों का दवाब था, अन्यत्र जाने का। रामजी बाबू का कहना, जीना-मरना यहीं है। वाईफ ने कहा, बी डी ओ इसी रास्ते निकले थे।
सुनील ने घर के उत्तर तरफ देखा। खतरा भांपा। नहाकर चला गया, अपने घर ।
अनिल का कमांडर को लिखा पत्र दिखाया। उसने संदेश से भेजवाई, पर वह उनके पास तक पहुंच नहीं सका। किसी ने कहा, हम खुद आफत में हैं।
समय से चाय और भोजन मिल जाता है। वाइफ का मेरी बात सुनकर तुरंत प्रतिक्रिया व्यक्त करती हैं। उनका कहना ठीक है। मुझे चुप रहना चाहिए। मैं भी वैसा ही महसूस करता हूं।
कुछ लोगों को ,राम चन्दर और हीरा का परिवार चला गया। मन में आशंका लिए कि घर जाएगा। मैं शाम को सुंदर वातावरण के लिए गायत्री जाप का सहारा ले रहा हूं। ऊपर वेला मन भयभीत था,पर रात भी चैन से सोया। घर के कमरों का पानी घटता-बढ़ता रहा।
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