Wednesday, October 8, 2008

कोसी की बाढ़:चौथा दिन

चौथा दिन
एलार्म बजते ही बिस्तर छोड़ा। यों घर का पानी निकलते देख खुशी हुई। पर पानी का वेग पूरब में देख कर, वह भी पोर्टिको से जो पास कर रहा है, उससे भयभीत मेरे मन ने अशोक को आगाह किया, घर गिर सकता है। तो उनका कहना हुआ अशुभ मुंह से क्यों निकालते हैं।
कल जो पत्र बी डी ओ को देना चाहता था,उसे आज सुशील के मार्फत पूर्वाह्न में भिजवाया। पर अभी तक उनके दिलो दिमाग पर कोई असर नहीं हुआ। उन्हें एक पदाधिकारी के नाते त्वरित एक्शन का सुझाव देना चाहिए था। स्थलीय जांच भी कर सकते थे।
रामजी बाबू ने इसकी गंभीरता को समझा तो पोर्टिको की स्थिति, फिर घर के उत्तर की दीवार की नींव की स्थिति को देखते हुए, कुछ ईंटें डाली गईं।
अशोक जी ने पानी खतम होने पर चारों तरफ किनारे-किनारे बोल्डर बिठाने को कहा। मन ही मन में मैंने कहा, कब तक ये वैशाखी पर रहेंगे।
घर बच गया, हम बच गए तो सावधानियां बरती जानी चाहिए। यों नवंबर के पहले जाने की बात पत्नी कर रही है। 30 सितंबर से नवरात्र शुरू हो रहा है। 10 अक्टूबर के बाद जैसी स्थिति रही कुछ दिन पटना में रहकर मुंबई चले जायेंगे।
आज उपरी वेला हेलीकप्टर से कुछ पैकेट जहां-तहां गिराये गए। कुछ को मिला, कुछ को नहीं। चला गया। विन्देश्वरी का परिवार भी चला गया। विन्देश्वरी के दामाद से बातें हुईं।
कुछ लोग छत पर और कुछ लोग नीचे सोये। मैं भी पेशाब करने उठता रहा। नींद आई।

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