Saturday, September 27, 2008

कोसी की बाढ़:कुशहा का बांध टूटना

अभूतपूर्व घटना
कुशहा का बांध टूटना
पूर्व की भांति आश्वस्त था कि वीरपुर को कुछ नहीं होगा। घर पक्का है,यही दीठ बनाये रखा। बगल के रामजी यादव का पूरा परिवार हमारे जीवन-मरण में खड़ा रहता है। उन्होंने अपने घर के सामान को सुरक्षित कर लिया। वे रात में अपने बाल-बच्चों समेत मेरे घर पनाह लेने आ गए। अगल-बगल के परिचित परिवार और बच्चे का पनाह लेने आ गए।
दुल्हिन ने सबों को छत पर भेज दिया। हम दोनों और बेटा-बहू, अभी भी अपने को सुरक्षित समझते हुए, सामान को रैकों पर और दीवान के ऊपर रखना शुरू किया।
त्राहिमाम त्राहिमाम, दिलों में दहशत, फिर भी निर्भीकता, अपने पक्के मकान का फख्र, सैकड़ों परिचितों के बाल-बच्चों की जान बची। दीवान पर मैं सो गया, एक तरफ पत्नी, बीच में किसू सो गए।
अजय को जानकारी दी। उस समय पानी से घिर गए थे। रंजन को खबर नहीं हुई। राजू को खबर हो गई। अद्र्ध नींद में, घड़ी पर नजर बार-बार। सुबह कुछ राम नाम,फिर गायत्री मंत्र का जाप। सुबह हुई। राहत की सांस।
मुशर्रफ का नव वर्ष से कछ महीने पहले गद्दी छोडक़र इस्तीफा देना, खुशियां पाकिस्तान में हर कूचे और गली में, तथा अवाम ने राहत की सांस ली।
पर जम्मू कश्मीर के नौजवानों ने फिर एक बार अलग होने का बिगुल बजाया है। भाजपा का हिंदू आंदोलन भी जम्मू में फिरकापरस्ती को आहुति दे रहा है। विस्फोटक स्थिति बनी है।

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