सच कहता हूँ
नियति में जो बदा था
वह भरपूर मिला
अभी जिन्दा हूं
जाने के आसार नहीं हैं
आकांक्षाएं जाती नहीं
मैं क्या करूं?
काम करता हूं
आपको जलन क्यों होता है?
बूढ़ा भले ही हो गया हूं
महाबूढ़ा नब्बे के दशक का
मेरे प्रति कलुष भावना नहीं रखें।
कुछ कर दिखाऊंगाा
तब दांतों तले अंगुली दबाएंगे
मैं इतराता नहीं हूं।
सच कहता हूं।
- गांव से
Tuesday, November 30, 2010
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