रंग-विरंगी तितलियों पर
बचपन में जब नजर जाती थी
दौड़ पड़ता था पकड़ने को
एक मनोहारी तितली को पकड़कर
घर लाता था ‘धागा’ में
उसे बांध कर
उड़ाया करता था।
हाथ से धागा छूटा
तितली अपने संगियों को
खोज लेती थी।
रानी तितली की अदालत में
मुझे पेश होना पड़ा
गलती कबूल कर, उल्टे पांव उस दिन
भाग आया था।
मां को जताया नहीं था
आप पोर्टिकों में बैठा हूं
घर में बजती टीवी की आवाज
कानों तक आ रही है, सामने उजली
तितली की एक जोड़ी आती-जाती है
उनसे पूछता हूं, तुम्हारे संगी साथ
कहां हैं? तितली की जोड़ी रोने लगती है।
- गांव से